दैनिक पंचांग

सोमवार, अप्रैल 04-04-2022

उत्तर प्रदेश

आज का पंचांग

आज का पंचांग

तिथि
द्वितीया – 17:21:23 तक
कौलव – 17:21:23 तक, तैतिल – 27:55:03 तक
पक्ष
शुक्ल
योग
हर्शण – 21:35:56 तक
वारक्षत्र
उत्तराषाढ़ा – 10:57:15 तक
कर
मंगलवार

हिन्दू मास एवं वर्ष

शक सम्वत
1943   प्लव
विक्रम सम्वत
2078
काली सम्वत
5122
प्रविष्टे / गत्ते
20
मास पूर्णिमांत
पौष
मास अमांत
पौष
दिन काल
10:22:46

सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ

सूर्योदय
07:14:37
सूर्यास्त
17:37:24
चन्द्र राशि
मकर
चन्द्रोदय
08:48:00
चन्द्रास्त
19:22:59
ऋतु
शिशिर

दिशा शूल

दिशा शूल
उत्तर

चन्द्रबल और ताराबल

ताराबल
भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन

अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)

दुष्टमुहूर्त
09:19:11 से 10:00:42 तक
कुलिक
13:28:18 से 14:09:49 तक
कंटक
07:56:09 से 08:37:40 तक
राहु काल
15:01:43 से 16:19:34 तक
कालवेला / अर्द्धयाम
09:19:11 से 10:00:42 तक
यमघण्ट
10:42:13 से 11:23:44 तक
यमगण्ड
09:50:19 से 11:08:10 तक
गुलिक काल
12:26:01 से 13:43:52 तक

शुभ समय (शुभ मुहूर्त)

अभिजीत
12:05:15 से 12:46:47 तक

💥 विशेष

चंद्रघण्टा माता की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इनके नाम का अर्थ, चंद्र मतलब चंद्रमा और घण्टा मतलब घण्टा के समान। उनके माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण ही उनका नाम चंद्रघण्टा पड़ा। इन्हें चंद्रखंडा नाम से भी जाना जाता है। देवी का यह स्वरूप भक्तों को साहस और वीरता का अहसास कराता है और उनके दुःखों को दूर करता है। देवी चंद्रघण्टा माता पार्वती की ही रौद्र रूप हैं, लेकिन उनका यह रूप तभी दिखता है जब वे क्रोधित होती हैं, अन्यथा वे बहुत ही शांत स्वभाव की हैं।

माता चंद्रघण्टा का स्वरूप

माँ चंद्रघण्टा शेरनी की सवारी करती हैं और उनका शरीर सोने के समान चमकता है। उनकी 10 भुजाएँ हैं। उनके बाएँ चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमण्डलु विभूषित हैं, वहीं पाँचवा हाथ वर मुद्रा में है। माता की चार अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पाँचवा हाथ अभय मुद्रा में है। माता का अस्त्र-शस्त्र से विभूषित यह रूप युद्ध के समय देखने को मिलता है।

पौराणिक मान्यताएँ

जब भगवान शिव ने देवी से कहा कि वे किसी से शादी नहीं करेंगे, तब देवी को यह बात बहुत ही बुरा लगा। देवी की यह हालत ने भगवान को भावनात्मक रूप से बहुत ही चोट पहुँचाया। इसके बाद भगवान अपनी बारात लेकर राजा हिमावन के यहाँ पहुँचे। उनकी बारात में सभी प्रकार के जीव-जंतु, शिवगण, भगवान, अघोरी, भूत आदि शामिल हुए थे।

इस भयंकर बारात को देखकर देवी पार्वती की माँ मीना देवी डर के मारे बेहोश हो गईँ। इसके बाद देवी ने परिवार वालों को शांत किया, समझाया-बुझाया और उसके बाद भगवान शिव के सामने चंद्रघण्टा रूप में पहुँचीं। उसके बाद उन्होंने शिव को प्यार से समझाया और दुल्हे के रूप में आने की विनती की। शिव देवी की बातों को मान गए और अपने आप को क़ीमती रत्नों से सुसज्जित किया।

ज्योतिषीय संदर्भ

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

प्रार्थना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥
मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

स्त्रोत

आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥

कवच मंत्र

रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥
बिना न्यासम् बिना विनियोगम् बिना शापोध्दा बिना होमम्।
स्नानम् शौचादि नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिदाम॥
कुशिष्याम् कुटिलाय वञ्चकाय निन्दकाय च।
न दातव्यम् न दातव्यम् न दातव्यम् कदाचितम्॥

उपरोक्त जानकारियों के साथ हम उम्मीद करते हैं कि नवरात्रि का तीसरा दिन आपके लिए ख़ास होगा और देवी चंद्रघण्टा की कृपा आपके ऊपर बरसेगी।

नवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएँ!

🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻

🙏 ● जय श्री राम ● 🙏

💥 पंचक

पंचकआरंभ काल पंचकसमाप्ति काल
सोमवार, 28 मार्च 23:55:12 बजे शनिवार, 2 अप्रैल 11:21:47 बजे
सोमवार, 25 अप्रैल 05:30:05 बजे शुक्रवार, 29 अप्रैल 18:42:55 बजे

🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻

🙏 ● जय श्री राम ● 🙏

💥 एकादशी

मंगलवार, 12 अप्रैल कामदा एकादशी
मंगलवार, 26 अप्रैल वरुथिनी एकादशी

🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻

🙏 ● जय श्री राम ● 🙏

💥 प्रदोष

गुरुवार, 14 अप्रैल प्रदोष व्रत (शुक्ल)
गुरुवार, 28 अप्रैल प्रदोष व्रत (कृष्ण)

🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻
🙏 ● जय श्री राम ● 🙏

💥 अमावस्या

शुक्रवार, 01 अप्रैल चैत्र अमावस्या
शनिवार, 30 अप्रैल वैशाख अमावस्या
🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻
🙏 ● जय श्री राम ● 🙏

💥 पूर्णमासी

शनिवार, 16 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा व्रत

🌻।। आपका दिन मंगलमय हो ।। 🌻
🙏 ● जय श्री राम ● 🙏