चंद्र ग्रह जप एवं पूजन

"चन्द्र ग्रह की शांति हेतु उपाय"

ज्योतिष में चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है । कोई भी जातक किसी भी कार्य के लिए संकल्प तथा विकल्प मन से ही करता है। यही कारण है कि ज्योतिष में चन्द्र ग्रह तथा चंद्र लग्न को विशेष प्रधानता दी गई है । जल का कारक चन्द्रमा है इस कारण चन्द्रमा में शीतलता तथा पवित्रता दोनों विध्यमान हैं ।

चन्द्रमा हमारे अंदर और बाह्य अशुद्धियों को अपने स्वच्छ जल से धो डालता है। फलित ज्योतिष में किसी भी कुंडली के सबल और सार्थक होने के लिए चन्द्रमा का शुभ और मजबूत होना उतना ही आवश्यक होता है जितना की सूर्य के शुभत्व का। व्यक्ति के शारीरिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक विकास में चन्द्रमा और सूर्य दोनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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"जन्मकुंडली में चन्द्र की महत्ता"

शिवजी ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है इसी से चन्द्रमा के महत्त्व को सहज ही पहचाना जा सकता है। जन्मकुंडली में जातक के व्यक्तित्त्व, स्वभाव इत्यादि को जानने के लिए ज्योतिषी सर्वप्रथम चन्द्रमा का विश्लेषण करते हैं।

ज्योतिष में चन्द्रमा जन्मकुंडली में जिस राशि में होता है उस राशि को लग्न मानकर जातक के भविष्य का विश्लेषण किया जाता है। चन्द्र लग्न मुख्य रूप से भौतिक स्तरों पर पड़ने वाले प्रभावों के विश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

चन्द्र के साथ ग्रहों की युति से अनेक प्रकार के योग उत्पन्न होते हैं। यथा चन्द्र और गुरु की युति से ‘गजकेसरी योग’, चन्द्र मंगल की युति से ‘चन्द्रमंगल योग’ का निर्माण होता है । इस योग का जातक जीवन में कभी असफल नहीं होता ।

"चन्द्रमा निम्न का कारक ग्रह है"

ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह :-

मन, माता, जल, धोखा, यात्रा, चांदी, खून, मंदिर, मुख, आँख, विदेश, पानी, विभाग, तालाब, चावल, प्रिंटिंग, इत्यादि का कारक ग्रह है l

धन्यवाद

नवग्रह देवता की कृपा आप पर सदैव बनी रहे l।

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