नवग्रह जप एवं पूजन

"नवग्रह-पूजन विधि"

नवग्रह को पूजने के लिए सबसे पहले ग्रहों का आह्वान करें। उसके बाद उनकी स्थापना करें। फिर अपने बाएं हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है। इस प्रकार सभी ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। तदोपरान्त हाथ में अक्षत लेकर मंत्र उच्चारित करते हुए नवग्रह मंडल में प्रतिष्ठा के लिये अर्पित करें। अब मंत्रोच्चारण करते हुए नवग्रहों की पूजा करें। ध्यान रहे पूजा विधि किसी विद्वान ब्राह्मण से ही संपन्न करवाएं।

"नवग्रह पूजन के लाभ"

  • नवग्रह पूजन से कोई एक ग्रह नहीं बल्कि पूरे नौ ग्रह प्रसन्‍न होते हैं और आपको एक साथ नौ ग्रहों की कृपा प्राप्‍त होती है।
  • यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह नीच या अशुभ स्‍थान में होकर बुरा प्रभाव डाल रहा है और इसके कारण आपके जीवन में अनेक कठिनाईयां आ रहीं है तो आपको नवग्रह पूजन अवश्‍य करवाना चाहिए।
  • नवग्रह पूजन की सबसे खास बात यही है कि इसे कोई भी करवा सकता है। इस पूजन से आपकी कुंडली के सभी दोष शांत होते हैं।
  • सुख-समृद्धि और मान-सम्‍मान की प्राप्‍ति के लिए आप नवग्रह पूजन करवा सकते हैं।

"नवग्रह दोष शांति पूजा"

नवग्रह दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधियां हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। नवग्रह दोष की शांति के लिए नौ ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।

"पूजन का महत्‍व एवं समय"

  • यह पूजा अथवा अनुष्‍ठान कराने से आपके महत्‍वपूर्ण कार्य संपन्‍न होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से आपके सभी रुके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
  • पूजा का समय शुभ मुहुर्त देखकर तय किया जाएगा।

"नवग्रह शांति हेतु जानें पूजा विधि"

सभी ग्रहों से संबंधित कुछ विशेष उपायों की जानकारी यहां दी जा रही है। व्यक्ति की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्मस्थान के आधार पर कुंडली बनाई जाती है, जिसमें मुख्यतया 9 ग्रह होते हैं। जिनमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल होते हैं। राहु और केतु छाया ग्रह हैं। जीवन में घटने वाली घटनाओं के पीछे इन 9 ग्रहों के गोचर का बहुत प्रभाव पड़ता है। नवग्रहों के अलग-अलग बीज मंत्र और यंत्र हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियां होती हैं। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन।

इन राशियों में समय-समय पर ग्रहों का प्रवेश कुछ निश्चित समय के लिए होता है। भगवान शिव के पूजन के साथ-साथ नवग्रह पूजन भी होता है। नवग्रहों के वैदिक और तांत्रिक मंत्र तथा निश्चित जप संख्या होती हैं।

"नवग्रहों के 9 बीज मंत्र एवं दान सामग्री"

  1. सूर्य – सूर्य को नवग्रहों में राजा माना गया है। अत: सूर्य को प्रसन्न करने के लिए गेहूं, तांबा, घी, स्वर्ण और गुड़ का दान करना चाहिये। सूर्योदय के समय इसके मंत्र – ‘ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः’ का 7000 बार जाप करना चाहिए।
  2. चंद्रमा – चंद्रमा को मजबूत बनाने हेतु चांदी, चीनी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें। साथ ही 11000 बार ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः’ का जाप करें।
  3. मंगल – मंगल के लिये गेहूं, मसूर, लाल वस्त्र और गुड़ का दान करें। मंगल को प्रसन्न करने के लिए इसके मंत्र ‘ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः’ का जाप 10000 बार करें।
  4. बुध – बुध ग्रह का कारक मूंग, हरा वस्त्र, कपूर है। बुध को मजबूत बनाने हेतु ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः’ का जाप 9000 बार करना चाहिए।
  5. गुरु- गुरु के लिये सोना, चनादाल, पीला रंग, पीली हल्दी दान करें। इसकी शुभता के लिए 19000 बार ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः’ मंत्र का जाप करें।
  6. शुक्र – शुक्र ग्रह का प्रमुख रत्न हीरा है। इसे मजूबत बनाने के लिये चांदी, चावल, दुग्ध, इत्र का दान करें। इसकी शुभता बढ़ाने के लिये ‘ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम:’ का 16000 बार जाप करें।
  7. शनि – शनि ग्रह का प्रमुख रत्न नीलम है। इसका कारक तिल, तेल, काला वस्त्र और कंबल माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप, संध्या समय कुल 23000 बार किया करें।
  8. राहु – नीला वस्त्र, सरसों, उड़द दाल को राहु का कारक माना गया है। राहु की शांति के लिए ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः’ मंत्र का जाप 18000 बार करें।
  9. केतु- इस ग्रह का कारक सात अनाज, तिल और ऊनी वस्त्र है। इसको शांत करने के लिये ‘ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः’ मंत्र का जाप 17000 बार करें।

धन्यवाद

नवग्रह देवता की कृपा आप पर सदैव बनी रहे ll

7355690494

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें