मंगल ग्रह जप एवं पूजन

"मंगल ग्रह शांत करने हेतु उपाय"

मंगल ग्रह के पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए। तथा लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए। मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है। मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन तथा दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है। जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए तथा ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए। मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट मंगल देवता का ध्यान करना उत्तम रहता है। मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए।

1) मंगल ग्रह के पीड़ित व्यक्ति को लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।

2) ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाए तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।

3) बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल ग्रह शुभ होता है।

4) लाल वस्त्र लेकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करना चाहिए।

5) मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लेकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।

6) बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।

7) अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

8) मंगल के दुष्प्रभाव निवारण हेतु किए जा रहे टोटके मंगलवार के दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मंगल ग्रह की मूलभूत प्रकृति प्रजनन एवं कायाकल्प है। मंगल ग्रह से प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव तीक्ष्ण, क्रोधी तथा साहसिक होता है। मंगल का वर्ण रक्त होता है। यह पित्त का कारक ग्रह है।

"जन्मकुंडली में मंगल ग्रह की महत्ता"

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को भूमिपुत्र, भौम, कुज, अवनी, क्रूर, लोहितांग इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है। वास्तव में मंगल ग्रह सांसारिक कार्यक्रमों को संचालित करने वाली विशिष्ट जीवन दायिनी शक्ति है। मंगल ग्रह जातक के पालन-पोषण के लिए गुरु ग्रह से प्राणशक्ति श्वास के रूप में लेकर जीवनशक्ति को सभी प्राणियों में रक्त के रूप में संचालित करता है। इससे आप समझ सकते है की मंगल ग्रह का जीवन में क्या महत्त्व है। अर्थात जिस तरह शरीर में रुधिर का विशेष महत्त्व है उसी प्रकार किसी भी जन्मकुंडली में मंगल ग्रह का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

मंगल ग्रह का जप 10000 मंत्रों से किया जाता है। इसे किसी योग्य आचार्य द्वारा संपन्न करवाना चाहिए, जिससे मंगल ग्रह का दुष्प्रभाव समाप्त होता है |

धन्यवाद

नवग्रह देवता की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।।

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