॥ प्रेमी भक्तजनों ॥
॥ हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता ॥
हरिनाम संकीर्तन करने से या हरि कथा श्रवण करने से आत्मा शुद्ध एवं पवित्र हो जाती है, वातावरण आनन्दित तथा मन प्रफुल्लित हो जाता है।
“सब नर करहिं परस्पर प्रीती ।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती ॥”
पुरुषोत्तम राम अथवा श्री कृष्ण में कोई भेद नहीं है। एक मर्यादा अवतार हैं तो एक लीला अवतार हैं। बहुत से लोग राम नाम भजते हैं तो बहुतों को कृष्ण नाम में आनन्द प्राप्त होता है। परन्तु हमें जो आनन्द राम कथा से प्राप्त होता है वही आनन्द कृष्ण कथा से भी प्राप्त होता है।
हमारा स्वप्न रामराज्य लाना है। और हमें दृढ़ विश्वास है कि रामराज्य की स्थापना सत्ता के सिंहासन से नहीं अपितु धर्म के सिंहासन से ही हो सकती है। इसीलिए श्री राघव की कृपा व श्री पंचमुखी हनुमान जी की प्रेरणा से हमने ‘मानस अमृत सेवा संस्थान’ की नींव रखी। साथ ही इस विश्वास के साथ कर्मपथ पर अग्रसर हैं कि यदि हम सभी मानस के अनुसार पिता को पिता की भांति, माता को माता की, भाई को भाई की व बहन को बहन की भांति स्नेह व प्रेम दें, तो समस्त मानव समाज ‘मानस अमृत परिवार’ बन जाएगा तथा हमारा जीवन अमृतमय हो जाएगा। हमें अमृत रस की प्राप्ति होगी और तब हमारी गाई हुई ‘मानस अमृत राम कथा’ साकार हो जाएगी।
॥ सादर जय सियाराम॥
॥ प्रेम से बोलो राघव प्यारे की जय हो॥