रुद्राभिषेक

(रुद्राभिषेक के विशेष महत्त्व) क्यों करवाना चाहिए रूद्राभिषेक.........?

रुद्राभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं, क्योंकि रुद्राभिषेक भगवान शिव को अति प्रिय है। कहते हैं, कि रुद्राभिषेक से शिव जी को प्रसन्न कर आप असंभव को भी संभव करने की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं। तो आप भी सही समय पर रुद्राभिषेक करिए और शिव कृपा के पात्र बनिए।

  • रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं।
  • शिव जी की कृपा से सारी ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है।
  • शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है।
  • रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं।
  • सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है।
  • रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।
  • रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है।

"कौन से शिवलिंग पर करें रुद्राभिषेक?"

अलग–अलग शिवलिंग तथा स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है। कौन से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना ज्यादा फलदायी होता है…?

  • मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना अति उत्तम होता है।
  • इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं।
  • रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है।
  • शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं।

"अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल"

रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। ज्योतिष मनाते हैं, कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं, उसी से जुड़ी मनोकामना पूरी होती है। 

  • घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है।
  • गन्ने के रस से अभिषेक करने से धन समृद्धि प्राप्त होती हैं, तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति विद्वान हो जाता है।
  • शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।
  • गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है।
  • शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती है।
  • भस्म से अभिषेक करने से व्यक्ति को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • तेल से अभिषेक करने से ग्रहबाधा का नाश होता है।

"रुद्राभिषेक कब होता है, सबसे उत्तम?"

कोई भी धार्मिक काम करने में समय तथा मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। रुद्राभिषेक के लिए कुछ ही उत्तम योग बनते हैं।  कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है…?

  • रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है।
  • शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, इससे बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • रुद्राभिषेक के लिए श्रावण मास का महीना सबसे उत्तम माना जाता हैं क्योंकि यह माह शिव जी को अति प्रिय हैं।

"रुद्राभिषेक करने की पूजन विधि"

इसके लिए सर्वप्रथम हम वेदी की रचना कर गणेश, गौरी, कार्तिकेय स्वामी, नंदी देवता, सर्प देवता, कुबेर देवता, वीरभद्र देवता, वरुण देवता, नवग्रह देवता और प्रधान देवता महादेव शिव शंकर की माटी (मृत्तिका) की बनाई हुई मूर्ति को स्थापित करते हैं, जो कि आचार्य द्वारा बनाई जाती है। इसे हम “पार्थिव शिवलिंग” कहते हैं।  भगवान जी के मंदिर में जहां उनका पूरा परिवार होता है, वहां भी भगवान का पूजन संभव है। इसके बाद गणेश-गौरी एवं सर्व स्थापित मूर्तियों एवं प्रतिमाओं का आवाहन कर, षोडशोपचार द्वारा वैदिक पूजन होता है। तत्पश्चात् 5 आचार्यों द्वारा विधि पूर्वक पूजन उपरांत रुद्री का पाठ किया जाता है, तथा यजमान द्वारा श्रृंगी के माध्यम से दूध की धारा भगवान शिव पर गिराई जाती है। इसके उपरांत भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। रुद्राभिषेक समाप्त होने पर आरती की जाती है। भगवान का प्रसाद आचार्य द्वारा ग्रहण किए जाने के उपरांत सभी भक्तजनों को वितरित किया जाता है। प्रसाद प्राप्त करने के पश्चात सभी को भगवान का नाम स्मरण करते हुए अपने निज निवास को जाना चाहिए, जिससे सभी कष्ट समाप्त हों, तथा सभी कार्य परिपूर्ण होते रहें l         

धन्यवाद

हर-हर महादेव। हर-हर महादेव।।

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