पूज्य श्री जितेन्द्री जी महाराज का कहना है कि आजकल रावण-राज चल रहा है। जिसके पास सत्ता, शक्ति व धन है उसमें रावण के संस्कार किसी ना किसी रूप में विद्यमान हैं। किसी में कम तो किसी में ज़्यादा।
अहंकार, मद, लोभ, स्त्री सुख, भौतिकता, समृद्धि, लालसा, औरों को कुचल के सर्वोपरि होने की आसुरी वृत्ति, ये सब रावण के ही तो लक्षण हैं।
इसलिए पूज्य महाराज श्री रामराज्य की स्थापना एवं धर्म की सत्ता की स्थापना हेतु गाँव-गाँव, शहर-शहर ‘श्रीरामचरित मानस’ के द्वारा राम कथा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
पूज्य महाराज श्री का कहना है कि यदि गौ, गंगा, तुलसी, मानस, जैसे भारतीय स्तंभ हमें, ईश्वर ने हमारी व्यवस्था में प्रदान किये हैं तो उनकी सुरक्षा, व्यवस्था व संरक्षण हमारा परम कर्तव्य है।
जिस प्रकार एक माँ अपने पुत्र को प्राणों से अधिक प्रेम करती है उसी प्रकार हम सबको इन धरोहरों को संभाल कर इनका रखरखाव करना चाहिए।
समाज का उत्थान किसी एक व्यक्ति से नहीं अपितु सभी के सहयोग से संभव है। इसी श्रृंखला में आप सभी के अपेक्षित सहयोग की आकांक्षा के साथ ‘मानस अमृत सेवा संस्थान’ सदैव मानव सेवा में तत्पर है।
॥ ॐ श्री सीता रामाय नम: ॥
~ मानसअमृत परिवार ~
संचालित – मानसअमृत सेवा संस्थान (रजिo)