श्री राम भक्त, संत श्री तुलसीदास जी को परम आदर्श मानने वाले, सीताराम के चरणों मे अनन्य शरणागति एवं श्री पंचमुखी हनुमान जी महाराज के चरणों में अत्यन्त भक्ति रखने वाले पूज्य श्री जितेन्द्री जी महाराज का जन्म, उत्तर प्रदेश के ‘हरदोई’ जिले के ‘संडीला’ क्षेत्र के निकट ‘अतरौली’ के पास ‘छोटी बहुती’ नामक गाँव में, पूज्य श्री दिनेश दीक्षित जी के यहाँ दिनांक – १८-०८-१९९२ (18-08-1992) को माता कान्ती जी की पावन कोख से हुआ।
जन्म उपरान्त विद्या-अध्ययन हेतु पूज्य महाराज श्री उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ जिले आए तथा यहां के निशातगंज क्षेत्र में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण की।
उनके परम स्नेही दादा जी स्व० श्री छोटेलाल दीक्षित जी अपने समय के प्रखर रामायणी थे। उन्होंने अपने पुत्र श्री दिनेश दीक्षित जी को हनुमत् सेवा के लिए प्रेरित किया था। उनके संस्कार पूज्य महाराज श्री में भी उतरे। परिवार की परम्परानुसार दादा जी एवं माता-पिता दोनों की ही धर्म भावना पूज्य महाराज श्री में प्रकट हुई। महाराज श्री के पिताजी बाल्यकाल से ही उन्हें प्रतिदिन श्री राम चरित मानस की दो-दो चौपाईयाँ कंठस्थ कराते रहे। जिसके फलस्वरूप बाल्यकाल से ही यह संस्कार दृढ़ हो चला। पूज्य महाराज श्री को बचपन से ही ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा एवं विश्वास रहा। महाराज श्री विभिन्न प्रदेशों में अनेकों पूजा अर्चना, जैसे ‘रामायण पाठ’, ‘सुन्दरकाण्ड’, ‘मानस अमृत राम कथा’, ‘रुद्राभिषेक’, ‘विवाह’, ‘वैदिक अनुष्ठान’ आदि कराते रहे हैं।
पूज्य महाराज श्री ने लखनऊ रिजर्व पुलिस लाईन के बगल में एक सुन्दर भव्य मन्दिर का निर्माण करवाया तथा संडीला में अपने ग्राम्य निवास स्थान पर विशाल क्षेत्र में भव्य “मानस अमृत धाम सेवा आश्रम” बनवाने की नींव रखी। यहीं पर भक्तजनों के उत्साहवर्धन से अभीभूत “पल-पल मानस, घर-घर मानस” सूत्र वाक्य के साथ “मानस अमृत सेवा संस्थान” नामक संस्था की संरचना की। इस संस्था के माध्यम से समस्त मानव समाज को “मानस अमृत परिवार” मानने के मूल मंत्र के साथ जिसका आधार ही है ‘सुन्दर जीवन का आधार’ रामराज्य स्थापित करने का प्रयास शुरू किया है।
पूज्य महाराज श्री का स्वप्न है, एक ऐसे समाज का निर्माण जहाँ इस कलियुग मे भी मातृ प्रेम, पितृ प्रेम, भ्रातृ प्रेम एवं गुरु परम्परा बनी रहे जो एक सुन्दर जीवन का आधार है। ऐसे समाज निर्माण हेतु पूज्य महाराज श्री ने भाव-भक्तिमय, संगीतमय व चरित्रमय, दिव्य ज्योति प्रदान करने वाली “श्री मानस अमृत राम कथा” का प्रारम्भ फरवरी २०१६ (2016) में किया है।
पूज्य महाराज श्री का मानना है, कि समाज कभी सुधरता नहीं है। समाज सुधार की बातें करने वाले लोग दंभी (स्वार्थी) हैं। मनुष्य को स्वयं को सुधारने का संकल्प करना होगा। प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में निवास कर रहे रावण के अंशों का परित्याग कर श्री राम के अंशों को स्थापित करे। व्यक्ति यदि स्वयं को सुधारेगा, तभी एक से दूसरा, दूसरे से तीसरा दीप प्रज्जवलित होगा और सब जगह प्रकाश फैल जायेगा। तथा समग्र समाज की रीति-नीति का स्वर ऊँचा उठेगा, तभी रावण, कंस जैसी बुराइयों का अंत होकर रामराज्य , कृष्णराज्य की स्थापना होगी।
आइये हम भी उनकी इस क्रान्ति में साथ दें। “मानस अमृत सेवा संस्थान” से जुड़ कर पूज्य महाराज श्री के स्वप्नों को साकार करने में अपना सहयोग प्रदान करें। रावण वृत्ति का त्याग करें तभी उनकी गाई हुई ‘मानस अमृत राम कथा’ सफल होगी, उनका प्रयत्न सफल होगा।
। धन्यवाद ।
अजय प्रधान (कोषाध्यक्ष)
मानस अमृत सेवा संस्थान (रजिo)