प्रिय भक्तों ….
॥ जय सियाराम ॥
जीवन में राम कथा का मुख्य उद्देश्य ‘स्वान्त: सुखाय’ है। साथ ही राम कथा के पाठ व श्रवण से प्रभु श्री राम एवं हनुमान जी महाराज की कृपा का फल भी प्राप्त होता है।
राम कथा की महिमा अलौकिक है। राम कथा में यदि श्री राम की शरण में कोई विभीषण चला आए तो राम-राज की प्राप्ति हो जाती है। कोई कुम्भकरण निद्रा त्याग दे तो मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। यदि किसी रावण को प्रभु राम का सत्यबाण लग जाए तो वह सभी पापों से मुक्त हो भवसागर को पार कर जाता है। ऐसे प्रभु श्रीराम की कृपा सभी भक्तों पर हमेशा बनी रहे।
इस पृथ्वी लोक, पर भाईचारा होना अति आवश्यक है। धन जीवन-यापन के लिये तो आवश्यक है, किन्तु धन से वस्तु खरीद सकते हैं, माता-पिता का प्रेम नहीं। इसीलिए हमने, हमारे बन्धु-बान्धवों व भक्तों के माध्यम से ‘मानस अमृत परिवार’ की नींव रखी। मानस के सिद्धान्तों पर चलकर प्रेम और भाईचारे के भाव को प्रगाढ़ बनाएं तथा इन्हीं सिद्धान्तों को आधार बनाकर अपना जीवन सुखी बनाएं।
सुखी जीवन हेतु वचन :-
हम पापमय धन न कमाएं।
हम झूठ बोलकर कोई कार्य न करें।
हम अपने जीवन को मानस के सिद्धान्तों के आधार पर चलकर सुखी व समृद्ध बनाएं।
तभी हमारा जीवन सुखमय, शान्तिमय, प्रेममय बन सकेगा। तभी हमारा जीवन सुधरेगा, आने वाली पीढ़ी माता-पिता से प्रेम करेंगी।
श्री दिनेश दीक्षित जी महाराज
संस्थापक
मानस अमृत धाम सेवा आश्रम
मानस अमृत सेवा संस्थान (रजिo)
|| जय श्री सीताराम जी महाराज ||
|| जय श्री पंचमुखी हनुमान जी महाराज ||