प्रिय स्वजनों,
मानस अमृत सेवा संस्थान की स्थापना का आधार तथा मूलभूत उद्देश्य समाज में भाईचारे, प्रेम तथा सद्भाव की वृद्धि के साथ-साथ समाज के ह्रास हो रहे नैतिक मूल्यों का पुन:स्थापन करना है। जिसमें श्री रामचरित मानस, जो कि भारत की भूमि पर परम श्रद्धेय प्रात: स्मरणीय श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा विरचित एक ऐसा अतुलनीय ग्रन्थ है जिसमें राष्ट्र निर्माण, समाज निर्माण एवं व्यक्ति निर्माण की अद्भुत शक्तियां समाहित हैं।
एक राष्ट्र का निर्माण कई वर्गों के समूह से होता है और समाज का निर्माण व्यक्तियों के समूह से होता है। अत: किसी राष्ट्र की इकाई व्यक्ति निर्माण से है। इसलिए एक राष्ट्र का बल उसके व्यक्तियों का चरित्रबल है।
श्री रामचरित मानस एकमात्र ऐसा ग्रन्थ है जो हमारे सामने अति सुन्दर एवं अनुकरणीय आदर्श चरित्र प्रस्तुत करता है। श्री राम जैसे प्रजापालक राजा, लक्ष्मण जैसे भ्रातृ प्रेमी, भरत जैसे त्यागी, सीता जैसी पतिपरायणा, हनुमान जी जैसे आग्यानुवर्ती सेवक, कौशल्या जैसी माता इत्यादि। इनका अनुकरण करने वाले व्यक्तियों का समाज, राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यन्त अनुकूल है।
अत: ‘मानस अमृत सेवा संस्थान’, ‘मानस अमृत परिवार’ के माध्यम से हर घर में मानस की स्थापना एवं उसके चिन्तन पर बल देने हेतु सतत् प्रयासरत् संस्था है। उत्तम समाज एवं श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण में आपके द्वारा भी एक अहुति सहयोग अपेक्षित है।
दिलीप शुक्ल
महासचिव
मानस अमृत सेवा संस्थान (रजिo)