पितृदोष निवारण पूजा
- विधिपूर्वक पितृदोष निवारण पूजा में लगभग 5 घंटे का समय लगता है l
‘पितृ दोष निवारण पूजा’
‘पितृ पक्ष में इस विधि से पितृ दोष निवारण पूजा करने पर, शांत हो जाता है, पितृ दोष…’
सभी के जीवन पर पितरों का गहरा प्रभाव पड़ता है। कहा जाता है की पितृ जिनसे नाराज हो जाते हैं वे लोग अनेक समस्याओं से घिर जाते हैं, जैसे, स्वयं का घर न बनना, संतान सुख से वंचित रहना, नौकरी, विवाह, पितृदोष आदि । यदि पितृपक्ष में कभी भी या अमावस्या के दिन इनके निवारण के लिए इस पूजा को श्रद्धा पूर्वक संपन्न किया जाए तो सारे दोष दूर हो जाते हैं ।
श्राद्ध पक्ष की तिथियों में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं। तर्पण का अर्थ होता है कि हम अपने पितरों को भूले नहीं है और वे हमारे लिए सदैव पूजनीय हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो ऐसे व्यक्ति को हर क्षेत्र में असफलता ही मिलती है, और ऐसे लोगों को जीवन में अनेक कष्ट भोगने पड़ते हैं, ख़ास कर संतान से सम्बंधित दिक्कतें और धन से सम्बंधित दिक्कतें भी बनी रहती है । ऐसी मान्यता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं करते, उन्हें पितृदोष लगता है। इससे मुक्ति पाने का सबसे आसान उपाय पितरों का श्राद्ध कराना है और इसी के साथ अगर आप अपने घर में पितृ दोष निवारण पूजा कराते है तो पितृ दोष से श्रापित जीवन से जल्दी ही मुक्ति मिलती है । इस पूजा को पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन कराने से भी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है ।
‘पितृ दोष निवारण पूजा का प्रभाव’
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो उसे पितृ दोष निवारण पूजा करने से अवश्य ही लाभ होगा । पितृ दोष के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए ही यह पूजा की जाती है । यह पूजा करने से व्यक्ति के मन में अध्यात्म के प्रति रूचि बढ़ती है और उसे अध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है । इस पितृ दोष निवारण पूजा के प्रभाव से जीवन की सारी बाधाएं और मुश्किलें दूर होती हैं । संतानहीन जातकों को पितृ दोष निवारण पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है । गृहस्थ जीवन और कामकाज में आ रही सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है । पितृ दोष की शांति के लिए अपने पितरों को याद करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें ।
‘पितृ दोष निवारण पूजन का समय’
पितृ पक्ष की पूजा अमावस्या तिथि, या उसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान किसी भी दिन की जा सकती है । इस पूजा को दोपहर के समय करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
हम यह भी जानते हैं की पितरों का हमारे जीवन पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक की अवधि को ही पितृपक्ष कहते हैं।
यह पूजा कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। संतान की प्राप्ति होती है तथा इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। पितृ दोष से मुक्ति मिलती है तथा आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
‘पितृ दोष के प्रभाव’
पितृ दोष से पीड़ित लोग बड़े-बुजुर्गों का अपमान करते हैं और दूसरों की भावनाओं की अवहेलना करने से भी नहीं चूकते। इन्हें पैसों की कमी रहती है। परिवार में लड़ाई-झगड़ा और क्लेश का माहौल रहता है। विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में बाधा और पैसों में बरकत न होने जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं।
‘पितृ दोष शांति पूजा’
पितृ दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधियां हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। पितृ दोष की शांति के लिए इससे संबंधित ग्रहों को उनके मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।
‘पितृ दोष निवारण पूजा के लाभ’
पितृदोष पूजा को कराने से अनेक महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं । संतान की प्राप्ति होती है तथा इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं । शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं । सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि पितृ दोष से मुक्ति मिलने के साथ आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
पितृदोष पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं।
शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
नौकरी, करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
धन्यवाद
ll प्रेम से बोलिए पितृ देव भगवान की जय हो ll
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