गृह वास्तु शांति पूजा
- विधिपूर्वक गृह वास्तु पूजन में लगभग 5 घंटे का समय लगता है l
गृह वास्तु पूजन का प्रभाव ,महत्त्व तथा लाभ-हानि…..
वास्तु का अर्थ है, एक ऐसा स्थान जहाँ भगवान तथा मनुष्य एक साथ रहते हैं। हमारा शरीर पांच मुख्य तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना हुआ है। वास्तु का सम्बन्ध इन पाँचों तत्वों से ही माना जाता है। कई बार ऐसा होता है, कि हमारा घर हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होता है। तब यह हमें प्रभावित करता है, तथा इसे वास्तु दोष कहा जाता है।
"गृह वास्तु शांति पूजा"
प्रिय भक्तों, कई बार हम यह महसूस करते हैं, कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुक्सान होता रहता है। किसी भी कार्य के सिरे चढ़ने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घर में मन नहीं लगता। एक नकारात्मकता की मौजूदगी महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पीछे वास्तु संबंधित दोष हो सकते हैं। हम माने या न माने लेकिन वास्तु की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है। यह हर रोज हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा होता है। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने हेतु जो पूजा की जाती है, उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं। मान्यता है कि वास्तु शांति पूजा से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं, तथा घर में सुख-समृद्धि आती है।
नवीन घर का प्रवेश उत्तरायण सूर्य में वास्तु पूजन करके ही करना चाहिए। उसके पहले वास्तु का जप यथाशक्ति करा लेना चाहिए। शास्त्रानुसार गृह प्रवेश के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आदि मास शुभ बताए गये हैं। माघ महीने में प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है। जो व्यक्ति अपने नये घर में फाल्गुन मास में वास्तु पूजन कराता है, उसे पुत्र-पौत्र और धन प्राप्ति दोनों होती है। चैत्र मास में नवीन घर में रहने के लिये जाने वाले को धन का अपव्यय सहना पड़ता है। गृह प्रवेश बैशाख माह में करने वाले को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। जो व्यक्ति पशुओं एवं पुत्र का सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नये मकान मे ज्येष्ठ माह में गृह प्रवेश करना चाहिए।
बाकी के महीनों में वास्तु पूजन व गृह प्रवेश से साधारण फल प्राप्त होता है। शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथि तक वास्तु अनुसार गृह प्रवेश वंश वृद्धि दायक माना गया है। धनु, मीन के सूर्य यानी मलमास में भी नये मकान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। पुराने मकान को जो व्यक्ति नया बनाता है, तथा वापस अपने पुराने मकान में जाना चाहे, तो उस समय उपरोक्त बातों पर विचार नहीं करना चाहिए। यदि मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी आदि तिथियों में करना चाहिए। दूज ,सप्तमी और द्वादशी तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार का गृह प्रवेश श्रेष्ठ बतलाया गया है l
"गृहशांति पूजन न करवाने से हानियां"
- गृहवास्तु दोषों के कारण गृह निर्माता को तरह-तरह की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।
- यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो बुरे स्वप्न आते हैं, अकालमृत्यु, अमंगल, संकट आदि का भय हमेशा रहता है।
- गृहनिर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता का सामना करना पड़ता है। तथा ऋण से छुटकारा भी जल्दी नहीं मिलता, ऋण बढ़ता ही जाता है।
- घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांति पूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के मन में मनमुटाव बना रहता है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय नहीं होता।
- उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं, तथा वह घर हमेशा के लिए बीमारियों का डेरा बन जाता है।
- गृहनिर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
- जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते हैं, उस घर में बरक्कत नहीं रहती अर्थात् धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है।
- जिस गृह में बलिदान तथा ब्राह्मण भोजन आदि कभी न हुआ हो ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह गृह आकस्मिक विपत्तियां प्रदान करता है।
"गृहशांति पूजन करवाने से लाभ"
- यदि गृहस्वामी गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन संपन्न कराता है, तो वह सदैव सुख प्राप्त करता है तथा लक्ष्मी का स्थाई निवास रहता है। गृह निर्माता को धन से संबंधित ऋण आदि की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता ।
- घर का वातावरण भी शांति तथा सुकून प्रदान करने वाला होता है। बीमारीयों से बचाव होता है।
- घर मे रहने वाले लोग प्रसन्नता, आनंद आदि का अनुभव करते हैं।
- किसी भी प्रकार के अमंगल, अनिष्ट आदि होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
- घर में देवी-देवताओं का वास होता है, तथा उनके प्रभाव से भूत-प्रेतादि की बाधाएं नहीं होती एवं उनका जोर नहीं चलता।
"घर में वास्तुदोष नहीं होने से लाभ"
घर को बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तथा मंदिर, रसोई, कमरे इत्यादि घर की किस दिशा में होने चाहिए, इन सभी का उल्लेख वास्तु शास्त्र में किया गया है। अगर घर का वास्तु सही ना हो, तो घर में अशांति फैली रहती है, और घर के लोगों का जीवन दुखों से भर जाता है। इसलिए ज़रूरी है, कि आप अपने घर में प्रवेश करने से पहले वास्तु शांति पूजा करवाएं। वास्तु शांति पूजा करने से घर का वास्तु ठीक हो जाता है, तथा घर में शांति का माहौल बना रहता है।
“वास्तु शांति पूजा क्या होती है? वास्तु शांति पूजा की विधि तथा गृह वास्तु पूजन का कैसा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।”
जब गृह प्रवेश, अनुष्ठान, भूमि पूजन, कुआं खनन या शिलान्यास किया जाता है, तब वास्तु देव की पूजा की जाती है। तथा इस पूजा को वास्तु शांति पूजा कहा जाता है। वास्तु शांति पूजा करवाने से सभी दोष खत्म हो जाते हैं, तथा यह पूजा कराने से घर में सकरात्मक ऊर्जा भी बढ़ जाती है। इसलिए जिन लोगों के घर में वास्तु दोष है, वह एक बार अपने घर में वास्तु शांति पूजा अवश्य करवा लें। ये पूजा करवाने से आपके घर का माहौल एकदम सही हो जाएगा l
“घर में ऐसी परिस्थितियां होने पर अवश्य करवाएं वास्तु शांति पूजा।”
जिन लोगों के घरों में अक्सर लड़ाई होती रहती है, तथा घर का माहौल हमेशा तनाव भरा रहता है, वह लोग अपने घर में वास्तु शांति पूजा जरूर करवाएं। वास्तु शांति की पूजा करवाने से घर का माहौल एकदम सही हो जाएगा, और घर के सदस्यों के बीच प्रेम भी बढ़ जाएगा। “मन शांत ना रहना” जिन लोगों का मन शांत नहीं रहता है, वो लोग भी अपने घर में वास्तु शांति की पूजा करवा लें।
धन्यवाद
प्रेम से बोले वास्तु पुरुष भगवान की जय।
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